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जिलाध्यक्ष नागेश्वर सिंह ने बाबूलाल मरांडी के इस कदम को गलत बताते हुए कहा कि सभी कार्यकर्ताओं ने 13-14 साल पार्टी को सशक्त बनाने में मेहनत की। ऐसे में अब पार्टी विलय करना कहीं से उचित नहीं है। अगर विलय करना ही था तो पहले ही होना चाहिए था। जिस पार्टी की नीति व सिद्धांत के खिलाफ अलग होकर झारखंड हित में झाविमो का गठन किया गया। भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़े और भाजपा ने झाविमो के विधायकों की खरीद-फरोख्त कर पार्टी को कमजोर किया। भाजपा के खिलाफ सड़क से सदन तक आंदोलन किया गया। इस विषम परिस्थिति में एकमात्र प्रदीप यादव सहयोगी रूप में खड़े होकर संगठन को मजबूत किया। वैसे नेता को नोटिस जारी करना कहां तक उचित है। बाबूलाल मरांडी अपनी नैतिकता को ताक पर रखकर भाजपा की ओर बढ़ रहे हैं। बाबूलाल हर मंच पर कहा करते थे कि कुतुबमीनार से कूदना पसंद करेंगे, लेकिन भाजपा में नहीं जाएंगे। आज वह इस बात को भूल गए। झाविमो कार्यकर्ता किसी कीमत पर भाजपा का दामन नहीं थामेंगे।