संवादसूत्र,सिंहेश्वर(मधेपुरा):वामछात्रसंगठनस्टूडेंट्सफेडरेशनआफइंडिया(एसएफआइ)कीबीएनएमयूइकाईनेबाबूवीरकुंवरसिंहकीजयंतीपरकार्यक्रमकाआयोजनकियागया।कार्यक्रममेंएसएफआइकेबीएनएमयूप्रभारीसारंगतनयनेकहाकिभारतकेप्रथमस्वतंत्रतासंग्रामकेनायकोंमें80सालकेएकऐसेमहानायकथे,जिनकेनामसुनतेहीअंग्रेजोंकेपसीनेछूटजातेथे।भारतकोआजादकरानेऔरअंग्रेजोंकोदेशसेभागनेमेंइनकीभूमिकाकाफीमहत्त्वपूर्णथी।80सालकेउम्रमें1857केकईक्रांतिमेंअंग्रेजोंकेदांतखट्टेकरनेवालेबाबूवीरकुवरसिंहवीरहीनहींबल्किवयोवृद्धयोद्धाथे।उन्होंनेउसउम्रमेंअंग्रेजोंकोधूलचटाया।उन्होंनेकहाकिबाबूवीरकुवरसिंहमूलरूपसेबिहारकेभोजपुरजिलेकेरहनेवालेथे।ब्रिटिशइतिहासकारहोम्सनेबाबूवीरकुवरसिंहकेसंबंधमेंलिखाहैकिउसबूढ़ेराजपूतनेब्रिटिशसत्ताकेविरूद्धअछ्वुतवीरताऔरआन-बानकेसाथलड़ाईलड़ी।यहगनीमतथीकियुद्धकेसमयकुवरसिंहकीउम्र80केपारथी।अगरवहजवानहोतेतोशायदअंग्रेजोंको1857मेंहीभारतछोड़नापड़ता।सारंगतनयनेकहाकि22अप्रैल1858कोसूर्योदयकीबेलामेंशिवपुरघाटबलियासेएकनावपरसवारहोकरगंगापारकरनेलगे।इसीदौरानअंग्रेजोंकीगोलीउनकेबांहमेंलगी।इसकेबादउन्होंनेयहकहतेहुएकिलोगंगामाईतेरीयहीइच्छाहैतोखुदहीबाएंहाथसेतलवारउठाकरउसझूलतीहाथकोकाटकरगंगामेंप्रवाहितकरदियाथा।वेउसदिनबुरीतरहघायलहोगएथे।
उनकाजन्म23अप्रैल1777कोभोजपुरजिलेकेजगदीशपुरमेंहुआ।वेअपनेहाथकेगहरेजख्मकोसहननहींकरपाए,26अप्रैल1858कोवेमातृभूमिकीरक्षाकरतेहुएशहीदहोगए।मौकेपरराहुलकुमार,सुजीत,केशव,सुमित,राजा,चंद्रहास,अजय,नेहाकुमारी,बबली,संतोषी,लीशा,सोनाक्षी,संजीत,कृष्णाआदिमौजूदथे।