श्रीनगरगढ़वाल,[एनकेखंडूड़ी]:बहुतकमलोगोंकोजानकारीहोगीकिउत्तराखंडमेंभीएकऐसासूर्यमंदिरभीमौजूदहै,जिसकास्थापनाकालपुरातत्वविद्छठीसेसातवींसदीकेबीचकामानतेहैं।यहमंदिरटिहरीजिलेकेहिंडोलाखालविकासखंडमुख्यालयसेपांचकिमीदूरवनगढ़क्षेत्रकेपलेठीगांवमेंस्थितहै।इसमंदिरकोउत्तराखंडकेअन्यसभीमंदिरोंमेंसबसेप्राचीनमानाजाताहै।मंदिरमेंशिलापटपरराजाकल्याणबर्मनवआदिबर्मनकालेखभीमौजूदहैं।जिन्हेंउत्तरगुप्त(ब्राह्मी)लिपिमेंलिखागयाहै।यहलिपिछठी-सातवींशताब्दीमेंप्रचलितथी।कालसी(देहरादून)केबादपलेठीकायहशिलालेखउत्तराखंडकेइतिहासमेंमहत्वपूर्णस्थानरखताहै।लेकिन,केचलतेयहधरोहरनष्टहोतीजारहीहै।

देशमेंप्राचीनसूर्यमंदिरकमसंख्यामेंहीमौजूदहैं।गढ़वालकेंद्रीयविश्वविद्यालयश्रीनगरगढ़वालकेवरिष्ठपुरातत्वविद्प्रोफेसरराकेशभट्टनेअपनेशोधऔरमंदिरमेंमिलेलेखकीलिपिकेआधारपरपलेठीसूर्यमंदिरकेनिर्माणकासमय675से700ईस्वीकेमध्यकामानाहै।मंदिरफांसणाशैलीमेंबनाहैऔरइसकेप्रवेशद्वारकेऊपरसातघोड़ोंकेरथपरसवारसूर्यदेवकीपत्थरसेनिर्मितभव्यप्रतिमाविराजमानहै।प्रो.भट्टबतातेहैंकिमंदिरकेशिखरकानिर्माण12क्षैतिजपत्थरकीपट्टियोंसेहुआहैऔरमंदिरकीकुलऊंचाई7.50मीटरहै।मंदिरमेंसूर्यदेवकीपत्थरसेबनी1.2मीटरऊंचीदोअद्भुतप्रतिमाएंहैं।

प्रो.भट्टकहतेहैंकिपलेठीकासूर्यमंदिरउत्तराखंडपुरातत्वविभागकेसंरक्षणमेंहोनेकेबावजूदउपेक्षितपड़ाहै।इसकीसुरक्षाकोलेकरभीपुरातत्वविभागगंभीरनहींहै।यहीवजहहैकिरखरखावकेअभावमेंयहांस्थितगणोशऔरपार्वतीकेमंदिरध्वस्तहोचुकेहैं।सिर्फसूर्यवशिवकेमंदिरहीकुछठीकस्थितिमेंहैं।इसकेअलावासूर्य,गंगा,यमुना,पार्वतीवगणोशकीमूर्तियांखुलेमेंपड़ीहैं।

-रखरखावकेअभावमेंध्वस्तहोचुकेहैंसूर्यमंदिरसमूहकेगणोशऔरपार्वतीमंदिर

-मंदिरकीकुलऊंचाई7.50मीटरऔरसूर्यदेवकीपत्थरसेबनी1.2मीटरऊंचीहैंदोअद्भुतप्रतिमाएं

कटारमलसूर्यमंदिरसेपांचसदीपुरानाहैयहमंदिर

पलेठीसूर्यमंदिरकेअलावागुजरातकेपाटनमेंस्थितमोढेरासूर्यमंदिरभीछठी-सातवींशताब्दीकेमध्यकामानाजाताहै।जबकि,ओडिशाकाकोणार्कसूर्यमंदिरऔरउत्तराखंडकेअल्मोड़ाकाकटारमलसूर्यमंदिर12वींसदीकेआसपासकेहैं।

सूर्यमंदिरकीविशेषता

इसमंदिरकाप्रवेशद्वारपूर्वाभिमुखहै,जोकिअंग्रेजीके'टी'केआकारमेंबनाहै।इसीतरहकेद्वारनचनावदेवलगढ़मंदिरोंमेंभीहैं।इसकेआधारपरमंदिरकीप्राचीनतागुप्तोत्तरकालमानीजातीहै।

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