उत्तरप्रदेशकेजिलेकानपुरसेलगभगछहकिलोमीटरदूरघाटमपुरकस्बेमेंमाताकुष्मांडादेवीकाअद्भुतऔररहस्यमयीमंदिरहै।इसमंदिरकीपिंडीसेरिसतेपानीकीतुलनाअमृतसेकीजातीहै।इसकोआंखोंमेंलगानेसेबीमारियांदूरहोजातीहै।

चैत्रनवरात्रकेचौथेदिनमांकुष्मांडादेवीकेस्वरूपकीपूजा-अर्चनाकीजातीहै।कानपुरशहरसेलगभग60किलोमीटरदूरघाटमपुरकस्बेमेंमांकुष्मांडादेवीकाअद्भुदऔररहस्यमयीमंदिरहै।मांदुर्गाकेचतुर्थस्वरूपमेंकुष्मांडादेवीकेप्राचीनवभव्यमंदिरमेंलेटीहुईमुद्रामेंहै।पिंडकेरूपमेंलेटीमांकुष्मांडा,जिससेलगातरनीररिसतारहताहै।पिंडीसेरिसनेवालेनीरकीतुलनाअमृतसेकीजातीहै।इसनीरकासेवनकरनेसेकईप्रकारकीबीमारियोंसेलोगोकोराहतमिलतीहै।आंखोंकीबीमारीसेपरेशानपीड़ितनीरकोआंखोंमेंलगातेहैं,जिससेआंखोंकीकिसीप्रकारकीबीमारीनहींहोतीहै।हांलाकिकुष्मांडादेवीकीपिंडीसेरिसनेवालानीरआजभीलोगोकेलिएरहस्यबनाहुआहै।

मंदिरकेपुजारीपरशुरामकेमुताबिकमांकुष्मांडादेवीकीपिंडीकितनीप्राचीनहै,इसकीअंकोमेंगड़नाकरनाबहुतमुस्किलहै।उन्होंनेबतायाकिकिसीसमयमेंघाटमपुरक्षेत्रमेंघनघोरजंगलथा।उसदौरानबड़ीसंख्यामेंचरवाहेजानवरोंकोचरानेकेलिएआतेरहतेथे।उनकेसाथएककुढाहानामकाग्वालाभीगायचरानेकेलिएआताथा।हमारेपूर्वजोंकेमुताबिकउसकीगायचरते-चरतेमांकीपिंडीकेपासआजातीथी।उसकीगायपूरादूधमाताकीपिंडीकेपासनिकालदेतीथी।जबकुढाहाशामकोघरजाताथातोउसकीगायदूधनहीदेतीथी।यहक्रमकईमहीनोंतकचलतारहा।

पुजारीनेबतायाकिकुढाहागायचरानेकेसाथहीअपनीगायपरनजररखनेलगा।कुढाहाअपनीकाछिप-छिपकरपीछाकरनेलगा।कुढाहानेदेखाकीउसकीगायएकएकपिंडीकेऊपरखड़ीहै।गायकाअपनेआपदूधनिकलरहाहै।ग्वालायहदेखकरआश्चर्यचकितरहगया।उसनेयहअपनेगांवमेंबताई।ग्रामीणोंनेखोदाईकीतोकाफीगहराईपरचमत्कारीपिंडीमिलीथी।ग्रामीणोंनेइसजगहपरएकछोटीसीमठियाबनादी।धीरे-धीरेइसस्थानपरतमामसाधूसंतभीआकररहनेलगे।मठियामेंपूजा-पाठकरनेलगे।पिंडीसेनिकलनेवालेनीरकोमाताकाप्रसादमानकरलोगचखनेलगे।जिससेकईप्रकारकीबीमारियोंसेलोगोंकोराहतमिलनेलगी।

मंदिरकेपुजारीकामाननाहैकियदिसूर्योदयसेपहलेनहाकरछहमाहतकइसनीरकासेवनकियाजाए,तोकोईभीबीमारीआपकोजकड़नहींपाएगी।यदिकोईबीमारीहै,तोवहनिश्चितठीकहोजाएगी।लेकिनउन्होंनेकहाकीलोगऐसानहींकरपातेहैं।इसकेलिएबहुतनियमकापालनकरनापड़ताहै।उन्होंनेबतायाकिमंदिरकेबगलमेंतलाबकाभीबड़ाआश्चर्यचकितइतिहासहै।मंदिरकीसेवाकरनेवालेबुजुर्गराजपालकेमुताबिकजबसेयहमाताकुष्मांडाकामंदिरबनाहै।यहतलाबकभीसूखानहींहैं।उन्होंनेकहाकीमेरीउम्र73वर्षहै,लेकिनमैंनेकभीभीइसतलाबकोसुखाहुआनहींदेखाहै।बारिशहोयानहोलेकिनयहतलाबसूखतानहींहैं।

मांकुष्मांडादेवीकेमंदिरमेंदर्शनकरनेकेबादजिनभक्तोंकीमुरादेपूरीहोजातीहैं।वहमंदिरमेंआकरकथासुनतेहै।साढ़गांवकेनवीनकुमारअपनेपूरेपरिवारकेसाथमाताकेदरबारमेंकथासुननेआएहैं।उन्होंनेबतायाकीखेतीकाएकविवादचलरहाथा।मनोकामनामानीथीकिविवादनिपटजाएगातोमाताकेदरबारमेंकथासुनेंगे।इसलिएआजकथासुननेकेलिएपरिवारसमेतआएहैं।इसीप्रकारलोगयहांपरबच्चोंकेमुंडनसंस्कारकरातेहैं।लोगोंकामाननाहैकीमांकेदरबारमेंआनेवालेसभीभक्तनिराशहोकरजातेहैं।उन्होंनेबतायाकिमैंयहांपरबहुतबड़ाभंडाराकरारहूं।मांकुष्मांडादेवीनेमेरीमनोकामनापूरीकीहै।

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