संवादसहयोगी,दातारपुर:परोपकारहीजीवनहै।जिसशरीरसेधर्मनहींहुआ,यज्ञनहुआऔरपरोपकारनहोसका,उसशरीरकाक्यालाभ।सेवायापरोपकारकीभावनाचाहेदेशकेप्रतिहोयाकिसीव्यक्तिकेप्रति,वहमानवताहै।रविवारकोदुर्गामातामंदिरबड़ीदलवालीमेंप्रवचनकरतेहुएआध्यात्मिकविभूतिराजिदरसिंहजिदाबाबानेकहापरोपकारसेहीईश्वरप्राप्तिकामार्गखुलताहै।व्यक्तिजितनापरोपकारीबनताहै,उतनाहीईश्वरकीसमीपताप्राप्तकरताहै।परोपकारसेमनुष्यजीवनकीशोभाप्राप्तकरताहै।परोपकारसेमनुष्यजीवनकीशोभाऔरमहिमाबढ़तीहै।सच्चापरोपकारीसदाप्रसन्नरहताहै।वहदूसरेकाकार्यकरकेहर्षकीअनुभूतिकरताहै।जिंदाबाबानेआगेकहापरोपकारकीप्रवृत्तिकोअपनाकरहमएकप्रकारसेईश्वरकीरचीसृष्टिकीसेवाकरतेहै।ऐसाकरनेसेहमेंजोआत्मसंतोषऔरतृप्तिमिलतीहै,उससेहमारीसारीसंपत्तियोंकीसार्थकतासाबितहोतीहै।परोपकारकीएकआध्यात्मिकउपयोगिताभीहै।वहयहहैकिहमदूसरोंकीआत्माकोसुखपहुंचाकरअपनीहीआत्माकोसुखीबनातेहैं।जबहमपरोपकारकोअपनास्वभावबनालेतेहै,तोउसकादोहरालाभहोताहै।परोपकारकीनीतिकेतहतकिसीकीसहायताकरकेऔरदूसरोंकेप्रतिसहानुभूतिदर्शाकरजिनदीनहीनोंकाकष्टदूरकियाजाएगा।उनमेंसद्भावनामानवीयचेतनाजाग्रतहोगी।ऐसाहोनेसेवेभीदूसरोंकीसेवाऔरसहयोगकरनेकामहत्वसमझनेलगतेहैं।इसअवसरपरप्रितपालसिंह,गोलापंडितराकेशकुमारमोनूपठानियाभोलीदेवीमनदीपसिंहबिशनसिंह,दिलबागसिंहअरुणारानीरविंद्रशर्मा,सरोजबालाजगदीशचंद्रउपस्थितथे।