लखनऊ/देहरादून:जैसाकीनामसेहीप्रतितहोताहैजहांपरगंगाउतरीउसस्थानकानामहैगंगोत्री.ग्लेसियरसेगंगागौमुखमेंप्रकटहोतीहै.उत्तराखंडकेउत्तरकाशीजिलेमेंहिमालयकीहिमाच्छादितशिखरोंसेनिकलनेवालीगंगाकीउद्गमस्थलगौमुखसेगंगोत्रीकीदुरी18किलोमीटरहै.गंगोत्रीस्थितगौड़ीकुण्डकोदेखकरभक्तआनंदविभोरहोजाताहै.जिसप्रकारकावर्णनशास्त्रोमेंगंगाकामिलताहैउसकापत्यक्षप्रमाणगंगोत्रीधाममेंदेखनेकोमिलताहै.
गंगाजीकामंदिर,समुद्रतलसे3042मीटरकीऊँचाईपरस्थितहै.भागीरथीकेदाहिनेओरकापरिवेशअत्यंतआकर्षकएवंमनोहारीहै.यहस्थानउत्तरकाशीसे100किमीकीदूरीपरस्थितहै.गंगामैयाकेमंदिरकानिर्माणगोरखाकमांडरअमरसिंहथापाद्वारा18वीशताब्दीकेशुरूआतमेंकियागयाथा.वर्तमानमंदिरकापुननिर्माणजयपुरकेराजघरानेद्वाराकियागयाथा.हरसालअप्रैलसेअक्टूबरकेमहीनोकेबीचपतितपावनीगंगामैंयाकेदर्शनकरनेकेलिएलाखोंश्रद्धालुतीर्थयात्रीयहांआतेहै.यमुनोत्रीकीहीतरहगंगोत्रीकापतितपावनमंदिरभीअक्षयतृतीयाकेपावनपर्वपरखुलताहैऔरदीपावलीकेदिनमंदिरकेकपाटबंदहोतेहै.
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पौराणिककथाओंकेअनुसारभगवानश्रीरामचंद्रकेपूर्वजरघुकुलकेचक्रवर्तीराजाभगीरथनेयहांएकपवित्रशिलाखंडपरबैठकरभगवानशंकरकीप्रचंडतपस्याकीथी.इसपवित्रशिलाखंडकेनिकटही18वीशताब्दीमेंइसमंदिरकानिर्माणकियागया.ऐसीमान्यताहैकिदेवीभागीरथीनेइसीस्थानपरधरतीकास्पर्शकिया.ऐसीभीमान्यताहैकिपांडवोंनेभीमहाभारतकेयुद्धमेंमारेगयेअपनेपरिजनोंकीआत्मिकशांतिकेनिमितइसीस्थानपरआकरएकमहानदेवयज्ञकाअनुष्ठानकियाथा.यहपवित्रएवंउत्कृष्ठमंदिरसफेदग्रेनाइटकेचमकदार20फीटऊंचेपत्थरोंसेनिर्मितहै.दर्शकमंदिरकीभव्यताएवंशुचितादेखकरसम्मोहितहुएबिनानहींरहते.
पवित्रशिवलिंगकेहोतेहैंदर्शन
शिवलिंगकेरूपमेंएकनैसर्गिकचट्टानभागीरथीनदीमेंजलमग्नहै.यहदृश्यअत्यधिकमनोहारएवंआकर्षकहै.इसकेदेखनेसेदैवीशक्तिकीप्रत्यक्षअनुभूतिहोतीहै.पौराणिकआख्यानोकेअनुसार,भगवानशिवइसस्थानपरअपनीजटाओकोफैलाकरबैठगएऔरउन्होनेगंगामाताकोअपनीघुंघरालीजटाओमेंलपेटदिया.शीतकालकेआरंभमेंजबगंगाकास्तरकाफीअधिकनीचेचलाजाताहैतबउसअवसरपरहीउक्तपवित्रशिवलिंगकेदर्शनहोतेहैं.
गंगोत्रीमन्दिरकाइतिहास
गंगोत्रीशहरधीरे-धीरेउसमंदिरकेइर्द-गिर्दविकसितहुआ,जिसकाइतिहास700वर्षपुरानाहैं,इसकेपहलेभीअनजानेकईसदियोंसेयहमंदिरहिदुओंकेलिएआध्यात्मिकप्रेरणाकाश्रोतरहाहै.चूंकिपुरानेकालमेंचारधामोंकीतीर्थयात्रापैदलहुआकरतीथीऔरउनदिनोंइसकीचढ़ाईदुर्गमथी,इसलिएवर्ष1980केदशकमेंगंगोत्रीकीसड़कबनीऔरतबसेइसशहरकाविकासधीमीगतिसेहुआ.गंगोत्रीशहरऔरमंदिरकाइतिहासअभिन्नरूपसेजुड़ाहै.प्राचीनकालमेंयहांमंदिरनहींथा.भागीरथीशिलाकेनिकटएकमंचथा,जहांयात्रामौसमकेतीन-चारमहीनोंकेलिएदेवी-देताओंकीमूर्तियांरखीजातीथी.इनमूर्तियोंकोगांवोंकेविभिन्नमंदिरोंजैसेश्यामप्रयाग,गंगाप्रयाग,धरालीतथामुखबाआदिगावोंसेलायाजाताथा,जिन्हेंयात्रामौसमकेबादफिरउन्हींगांवोंमेंलौटादियाजाताथा.
भागीरथनेजहांतपकियावहींबनामंदिर
गढ़वालकेगुरखासेनापतिअमरसिंहथापाने18वींसदीमेंगंगोत्रीमंदिरकानिर्माणउसीजगहकिया,जहांराजाभागीरथनेतपकियाथा.मंदिरमेंप्रबंधकेलियेसेनापतिथापानेमुखबागंगोत्रीगांवोंसेपंडोंकोभीनियुक्तकिया.इसकेपहलेटकनौरकेराजपूतहीगंगोत्रीकेपुजारीथे.मानाजाताहैकिजयपुरकेराजामाधोसिंहद्वितीयने20वींसदीमेंमंदिरकीमरम्मतकरवायी.ई.टी.एटकिंसनेदीहिमालयनगजेटियर(वोल्युमIIIभागI,वर्ष1882)मेंलिखाहैकिअंग्रेजोंकेटकनौरशासनकालमेंगंगोत्रीप्रशासनिकइकाईपट्टीतथापरगनेकाएकभागथा.वहउसीमंदिरकेढांचेकावर्णनकरताहैजोआजहै.एटकिंसआगेबतातेहैंकिमंदिरपरिवेशकेअंदरकार्यकारीब्राह्मण(पुजारी)केलियेएकछोटाघरथातथाबाहरतीर्थयात्रियोंकेलियेलकड़ीकाछायादारढांचाथा.
कैसारहताहैगंगोत्रीकामौसम
ग्रीष्म-दिनकेसमयसुहावनाऔररातमेंसमयसर्द.न्यूनतमतापमान6सें.तथाअधिकतम20सें
शीतकाल-सितंबरसेनवंबरतकदिनकेसमयसुहावना,रातकेसमयअधिकठंडा.दिसंबरसेमार्चतकहिमाच्छादित.तापमानशून्यसेकम
गंगोत्रीपहुंचनेकामार्ग
वायुमार्ग-देहरादूनस्थितजौलीग्रांटनिकटतमहवाईअड्डाहै.दूरी226किमीहै.
सड़कमार्ग-गंगोत्रीऋषिकेशसेबस,कारअथवाटैक्सीद्वारापहुंचाजासकताहै.यहमार्ग259किमीहै.गंगोत्रीसेयमुनोत्रीमेंफूलचट्टीतककीदूरी8किमीहैतथाबस,कारअथवाटैक्सीद्वारागंगोत्रीतककीदूरी229किमीहै.